प्रस्तावनाखंड : विभाग पांचवा- विज्ञानेतिहास.
प्रकरण ५ वें,
वेदविद्या व तदुत्तर शास्त्रें-छंद व संगीत.
सामनामें– सामवेदाच्या इतिहासाविषयीचे दुसरे एक साहित्य म्हटले म्हणजे सामांची नांवे. सामांची नांवें निरनिराळया ब्राह्मणांतून व सूत्रग्रंथांतून द्दष्टीस पडतात. ती नांवे आपण सामवेदांतर्गत ॠचांच्या साहाय्याने तपासली तर आपणांस सूक्तांस नांवे कशी पडत गेली या इतिहासाचा थोडासा उलगडा होतो. प्रथमत: द्राह्यायण श्रौतसूत्रांत उल्लेखिलेलीं नांवे येथे देतो.
द्राह्यायण श्रौतसूत्रांत उल्लेखिलेलीं सामनामे.
अग्निव्रत | [ इष्टाहोत्रीय ] |
अग्निष्टोम | ईद्ररोचन |
अग्नेर्व्रत | उद्वंशीय |
अभीवर्त | उद्ववत् भार्गव |
अभीशव | ॠतुस्थायज्ञायज्ञीय |
आकूपार | ऐड |
आजिग | औक्षारंध्र |
आज्यदोह | औदल त्वाष्ट्री |
आनूप | औदलबृहती |
आंधीगव | और्णायव |
आरुढवत् आगिरस | र्औध्वसद्मन् |
आर्षभ | कालेय |
आश्व | काव |
इड | कौल्मल बर्हिष |
इषोवृधीय | क्रौंच |
इष्टाहोत्रीय | गायत्र |
[ गायत्र ] | [ वामदेव्य ] |
गोष्ठ | वाम्र |
गौरिवीत | वार्षाहर |
चंद्र | वाश |
ज्योति | वासिष्ठ |
तार्क्ष्य | विकर्ण |
त्रैककुभ | विश्वजित |
दीर्घतमसोर्क | विश्वरुप |
दैवोदासि | र्वीक |
धेनु | वैयश्व |
नानद | वैराज |
पयस् | वैरुप |
पार्थ | व्रतपक्ष |
पुरुषव्रत | शंखहस्त |
प्रजापतेर्ह्रदय | शशकर्ण |
प्रवत् भार्गव | शार्ङ्ग |
बृहत | शुक्र |
बृहत्पृष्ठ | शुध्दाशुध्दीय |
ब्रह्म | श्यावाश्व |
भर्ग | श्यैत |
भास | संक्षार |
माण्डव | सत्रस्यर्धि |
मानव | सन्तान |
मौक्ष | समन्त |
यज्ञरथ | साकमश्व |
यज्ञायज्ञीय | सामराज |
यश | सिन्धु |
याम | सुरुप |
रथंतर | सोम |
राजन | सोमव्रत |
रौहिणक | स्वर |
लोकसाम | हारायण |
वसिष्ठशफ | |
वामदेव्य |